Jahan Tum Ho

सोते-उठते, हँसते-खेलते बस एक यही ख़याल है
"कैसी हो तुम? क्या कर रही हो? कैसा तुम्हारा हाल है?"
हाँ, हँसते-खेलते, जगते-सोते बेचैनी बेमिसाल है
"हो कहाँ तुम? क्या सोचा रहे हो?" ऐसे ढेरों सवाल हैं

तुमसे है हर ख़ुशी
मुझको है रहना वहीं
जहाँ तुम हो

खिलती हैं रातें, जहाँ तुम हो
मीठी बरसातें, जहाँ तुम हो
बदली है दुनिया मेरी, लगती है अब ये नई
हर पल बीते मेरा वहीं, जहाँ तुम हो

ज़िंदगी के ये पल हैं हसीं, सारे ये अपने लिए
खो ना जाएँ हमसे ये कहीं, आ, अपने सपने जिएँ
बातें तेरी मैं समझूँ नहीं, तुझमें कुछ बात है
कड़वी coffee में चीनी मीठी, ऐसा कुछ अंदाज़ है

आदत तू बन गई
ये दिल है सँभलता वहीं
जहाँ तुम हो

खिलती हैं रातें, जहाँ तुम हो
मीठी बरसातें, जहाँ तुम हो
ख़ुशबू हो तेरी जहाँ, सब कुछ है मेरा वहाँ
बीते ये मेरी ज़िंदगी, जहाँ तुम हो



Credits
Writer(s): Kuljeet Kwatra, Prasad Ruparel
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