Tu Kisi Rail Si (From "Masaan")

तू किसी रेल सी गुज़रती है

तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तू भले रति भर ना सुनती है
मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ

किसी लंबे सफ़र की रातो में
तुझे अलाव सा जलाता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथरा ता हूँ

काठ के ताले है
आँख पे डाले है
उनमें इशारों की चाबियाँ लगा

काठ के ताले है
आँख पे डाले है
उनमें इशारों की चाबियाँ लगा
रात जो बाक़ी हैं
शाम से ताकि हैं
नीयत में थोड़ी

नीयत में थोड़ी खराबिया लगा

मैं हूँ पानी के बुलबुले जैसा
तुझे सोचूँ तो फूट जाता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथरा ता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
थरथराता हूँ, थरथाराता हूँ
थरथराता हूँ



Credits
Writer(s): Indian Ocean, Varun Grover
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