Dhoop

धूप से छन के...
धूप से छन के धुआँ मन हुआ
रूप ये चमके, तन अनछुआ

छिड़ते हैं, बजते हैं
तार जो मन के खनके, झनके हैं
कुछ तो हुआ
धूप से छन के धुआँ मन हुआ

रोम-रोम नापता है, रगों में साँप सा है
स-र-र-र, स-र-र-र-र भागे बेवजह
हो, रोम-रोम नापता है, रगों में साँप सा है
स-र-र-र, स-र-र-र-र भागे बेवजह

सरके हैं, खिसके हैं
मुझमें ये बस के, डस के
दिल गया, दर्द बे-दवा
धूप से छन के धुआँ मन हुआ

छिड़ते हैं, बजते हैं
तार जो मन के खनके, झनके हैं



Credits
Writer(s): Kumar Siddarth Anand, Sanjay Leela Bhansali
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