Dil Parinda

कैसी ये ख़ुदाई तेरी तूने ही बनाई, रब्बा?
काहे को बनाया तूने इश्क़?
बेज़ुबाँ ज़ुबाँ की भाषा कैसे कोई समझे बता जा
काहे को बनाया तूने इश्क़?

ऐसा क्यूँ होता है? दिल ये क्यूँ रोता है?
जो नहीं था तेरा, फिर क्यूँ उसकी आस है?
जो नहीं था तेरा, फिर क्यूँ उसकी आस है?

कोई मन में हँसता, कोई मन ही मन है रोता
कोई मन में ही घरौंदा बनाए
कहीं छलकें खुशियों के आँसू, कहीं रोए दुख से नैना
नैना ये समझ भी ना पाए, बावरा

दिल परिंदा ढूँढे आशियाना
दिल परिंदा ढूँढे आशियाना
ये ना जाने कहाँ इसको जाना, बावरा

दिल परिंदा
दिल परिंदा
दिल परिंदा

मन में कोई बसता, पर तुझे ना मिलता
क़िस्मतों का लिखा कहाँ है किसी को दिखता
मन में कोई बसता, पर तुझे ना मिलता
क़िस्मतों का लिखा कहाँ है किसी को दिखता
ग़म की है सहेली उलझी एक पहेली
इश्क़ पे किसी का कहाँ ज़ोर है चलता

दिल परिंदा ढूँढे आशियाना (ढूँढे आशियाना)
ये ना जाने कहाँ इसको जाना
(कहाँ इसको जाना) बावरा (बावरा)

कैसी ये ख़ुदाई तेरी तूने ही बनाई, रब्बा?
काहे को बनाया तूने इश्क़?
बेज़ुबाँ ज़ुबाँ की भाषा कैसे कोई समझे बता जा
काहे को बनाया तूने इश्क़?

दिल परिंदा ढूँढे आशियाना
ये ना जाने कहाँ इसको जाना, बावरा

ऐसा क्यूँ होता है? दिल ये क्यूँ रोता है?
जो नहीं था तेरा, फिर क्यूँ उसकी आस है?

दिल परिंदा ढूँढे आशियाना
ये ना जाने कहाँ इसको जाना, बावरा (बावरा)

बेज़ुबाँ इश्क़, बेज़ुबाँ इश्क़, बेज़ुबाँ इश्क़
बेज़ुबाँ इश्क़, बेज़ुबाँ इश्क़, बेज़ुबाँ इश्क़



Credits
Writer(s): Gangani S. Jashwantbhai, Rupesh Verma
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