Zindagi Kah Rahi Hai

ज़िंदगी कह रही है, "प्यार कर"
दिल तेरा जो कहे, यार कर
ज़िंदगी कह रही है, "प्यार कर"
दिल तेरा जो कहे, यार कर

छेड़ नग़मा वक़्त के हर साज़ पर
ख़्वाबों की आवाज़ पर, क़दमों की परवाज़ पर
ख़्वाबों की आवाज़ पर, क़दमों की परवाज़ पर
बेख़ुद अंदाज़ पर
ज़िंदगी कह रही है, "प्यार कर"

रंग-बिरंगे, झिलमिलाते रास्ते (रास्ते)
चल पड़ो के हैं तुम्हारे वास्ते
मुश्क़िलों से दिल ज़रा घबराए तो
कुछ बहकने का सलीक़ा आए तो

हाथ मलती ही रहें तनहाइयाँ
इस तरह रोशन करें परछाइयाँ

कोशिश ना हो बात भर, चाहत ना हो साथ भर
कोशिश ना हो बात भर, चाहत ना हो साथ भर
हलचल रहे रात भर

हाथ पे जब हाथ रख दे हमसफ़र (हमसफ़र)
ये ज़मीं लगती है कितनी मुख़्तसर
जैसे मुट्ठी में सितारे आ गए
जैसे दामन में नज़ारे आ गए

भर अंधरों ने शरारत की कहीं
जल पड़े हैं जुगनुओं से हम वहीं

मस्ती करें इस-क़दर, हम हो जाएँ बेअसर
मस्ती करें इस-क़दर, हम हो जाएँ बेअसर
रुक जाएँ शाम-ओ-शहर

ज़िंदगी कह रही है, "प्यार कर"

ज़िंदगी कह रही है, "प्यार कर"
प्यार कर



Credits
Writer(s): Shailendra, Sayanti, Mozzam Azm
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