Dost Milte Hai

दोस्त मिलते हैं बिछड़ने के लिए
फूल खिलते हैं बिखरने के लिए
आशियाँ बनते उजड़ने के लिए
अब समझ आया कि दुनिया क्या है
अब समझ आया कि दुनिया क्या है

इक उबाल था, इक जुनून था
मेरे जिस्म में गर्म खून था
सोचा कुछ नहीं, बस निकल गया
अपनी आग में ख़ुद ही जल गया
अपनी आग में ख़ुद ही जल गया

धूप चढ़ती है, उतर जाती है
मौज साहिल पे ठहर जाती है
बात भी हद से गुज़र जाती है
अब समझ आया कि दुनिया क्या है
अब समझ आया कि दुनिया क्या है

हर तरफ़ यहाँ मौत है रवाँ
ज़िन्दगी मुझे लाई है कहाँ?
देखा आईना तो मैं डर गया
जीने के लिए कितना मर गया
जीने के लिए कितना मर गया

वक़्त जादू है, ये चल जाता है
रूप का रंग भी ढल जाता है
तप के लोहा भी पिघल जाता है
अब समझ आया कि दुनिया क्या है
अब समझ आया कि दुनिया क्या है

दुनिया क्या है
दुनिया क्या है



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Shravan Rathod, Nadeem Saifi
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