Aman ki Asha

दिखाई देते हैं दूर तक अब भी साएँ कोई
मगर बुलाने से वक्त लौटे ना आए कोई
चलो ना फिर से बिछाएँ दरिया, बजाएँ ढोलक (बजाएँ ढोलक)
लगा के मेहँदी, सुरीले टप्पे सुनाए कोई

पतंग उड़ाएँ, उड़ाएँ, उड़ाएँ, उड़ाएँ
पतंग उड़ाएँ छतों पे चढ़के मोहल्ले वाले
फलक तो साँझा है उस में पेचें लड़ाए कोई
उठो (उठो), उठो कबड्डी-कबड्डी खेलेंगे सरहदों पर
जो आए अब के तो लौटकर फिर ना जाए कोई

नज़र में रहते हो, जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर मिलाते हैं, जब तुम इधर नहीं आते
नज़र में रहते हो, जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर बुलाते हैं, ये सुर बुलाते हैं
जब तुम इधर नहीं आते

ये सुर बुलाते हैं
जब तुम इधर नहीं आते



Credits
Writer(s): Gulzar, Shankar Mahadevan, Ehsaan Ehsaan, Loy
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