Ghunghroo Ki Tarah Bajta Hi Raha (From "Chor Machaye Shor")

घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग में, कभी उस पग में
बँधता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं

कभी टूट गया, कभी तोड़ा गया
१०० बार मुझे फिर जोड़ा गया
कभी टूट गया, कभी तोड़ा गया
१०० बार मुझे फिर जोड़ा गया

यूँ ही लुट-लुट के, और मिट-मिट के
बनता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं

मैं करता रहा औरों की कही
मेरी बात मेरे मन ही में रही
मैं करता रहा औरों की कही
मेरी बात मेरे मन ही में रही

कभी मंदिर में, कभी महफ़िल में
सजता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं

अपनों में रहें या गैरों में
घुँघरू की जगह तो है पैरों में
अपनों में रहें या गैरों में
घुँघरू की जगह तो है पैरों में

फ़िर कैसा गिला, जग से जो मिला
सहता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
बजता ही रहा हूँ मैं



Credits
Writer(s): Ravindra Jain
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