Jiske Sapne Humen Ros Aate Hai - From "Geet"

जिस के सपने हमें रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो, बता दो
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?

हो, जिस के सपने हमें रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?

जब भी झरनों से मैंने सुनी रागिनी
जब भी झरनों से मैंने सुनी रागिनी
मैं ये समझा तुम्हारी ही पायल बजी

ओ, जिस की पायल पे...
ओ, जिस की पायल पे हम दिल लुटाते रहे, जाँ लुटाते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?
जिस के रोज़-रोज़ गीत हम गाते रहे, गुनगुनाते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?

जब भी ठंडी हवा गुनगुनाते चली
जब भी ठंडी हवा गुनगुनाते चली
मैं ये समझी तुम्हारी ही मुरली बजी

जिस की मुरली पे...
जिस की मुरली पे हम लहराते रहे, बलखाते रहे
ये बता दो कही तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?
ओ, जिस के सपने हमें रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?

ये महकते-बहकते हुए रास्ते
खुल गए आप ही प्यार के वास्ते
दे रही है पता मदभरी वादियाँ
जैसे पहले भी हम-तुम मिले हो यहाँ

ओ, कितने जन्मों से
कितने जन्मों से जिस को बुलाते रहे, आज़माते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? वही तो नहीं?
ओ, जिस के सपने हमें रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो कहीं तुम वही तो नहीं? तुम वही तो नहीं?

ओ, तुम वही तो नहीं?
ओ, तुम वही तो नहीं?
वही तो नहीं? वही तो नहीं?



Credits
Writer(s): Jaipuri Hasrat, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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