Kya Dekhte Ho - From "Qurbani"

क्या देखते हो
क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी
क्या चाहते हो
चाहत तुम्हारी
न हम जो कह दे
कह न सकोगी
लगती नहीं ठीक
नियत तुम्हारी

क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी
क्या चाहते हो
चाहत तुम्हारी
न हम जो कह दे
कह न सकोगी
लगती नहीं ठीक
नियत तुम्हारी

क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी

रोज़ रोज़
रोज़ रोज़ देखूँ तुझे
नयी नयी लगे मुझे
अंगों में अमृत की धारा
तेरे अंगों में अमृत की धारा

दिल लेने की ढँग तेरी
सीखी कोई रंग तेरे
बातों का अंदाज़ प्यारा
तेरी बातों का अंदाज़ प्यारा

शरारत से चेहरा
चमकने लगा क्यूँ
शरारत से चेहरा
चमकने लगा क्यूँ

यह रंग लायी है
सांगत तुम्हारी
क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी

सोचो ज़रा
सोचो ज़रा जान-इ-जिगर
बीतेगी क्या तुमपे अगर
हमको जो कोई चुरा ले
तुमसे हमको जो कोई चुरा ले

किसी ने जो तुम्हे छिना
नामुमकिन है उसका जीना
कैसे नज़र कोई डाले
तुमपे कैसे नज़र कोई डाले

प्यार पे अपने इतना भरोसा
प्यार पे अपने इतना भरोसा
इतना मोहब्बत
में फितरत हमारी

क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी
क्या चाहते हो
चाहत तुम्हारी
न हम जो कह दे
कह न सकोगी
लगती नहीं ठीक
नियत तुम्हारी
क्या देखते हो
सूरत तुम्हारी



Credits
Writer(s): Kalyanji Anandji, Sahir Ludhianvi
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