Prem Hai Prem Hai

प्रेम है, प्रेम है, प्रेम है, प्रेम है
पिया, मन की मधुर एक भावना
पिया, मन की मधुर एक भावना

अनबुझी प्यास में, अनबुझी प्यास में
एक डूबी हुई सी कामना
एक डूबी हुई सी कामना, प्रेम है

आओ, आज लिखें अधरों से
अधरों पर हम ऐसी कविता
बेसुध अपनी इन साँसों में
घुल जाए जिसकी मादकता

सागर की बाँहों में जैसे बँधती है सरिता
हर घड़ी ऐसे ही, हर घड़ी ऐसे ही
अपनी बाँहों में मुझको बाँधना
पिया, मन की मधुर एक भावना

आज प्रणय की इस बेला में
मेरा हर अधिकार मुझे दो
मैं ना भूलूँ, तुम ना भूलो
ऐसा एक उपहार मुझे दो

तुम ये अँगूठी मेरी सजनी लो स्वीकार करो
कम कभी हो नहीं, कम कभी हो नहीं
प्रीत की अपनी आराधना
पिया, मन की मधुर एक भावना

प्रेम है, प्रेम है, प्रेम है, प्रेम है
पिया, मन की मधुर एक भावना
पिया, मन की मधुर एक भावना

अनबुझी प्यास में, अनबुझी प्यास में
एक डूबी हुई सी कामना
एक डूबी हुई सी कामना, प्रेम है

आओ, आज लिखें अधरों से
अधरों पर हम ऐसी कविता
बेसुध अपनी इन साँसों में
घुल जाए जिसकी मादकता

सागर की बाँहों में जैसे बँधती है सरिता
हर घड़ी ऐसे ही, हर घड़ी ऐसे ही
अपनी बाँहों में मुझको बाँधना
पिया, मन की मधुर एक भावना

अनबुझी प्यास में, अनबुझी प्यास में
एक डूबी हुई सी कामना, प्रेम है



Credits
Writer(s): Yogesh, Nagrath Rajesh Roshan
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