Kya Jaane Kab Kahan Se - Edit - Live

दोस्तों, आपके सामने Saeed Rahi की लिखी हुई ग़ज़ल पेश है

क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल
क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल
उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा-हा, वाह! क्या बात है! वाह!)
क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल

पूछा जो मैंने उससे कि है ख़ुश-नसीब कौन?
पूछा जो मैंने उससे कि है कौन ख़ुश-नसीब?
पूछा...
पूछा जो मैंने उससे कि है कौन ख़ुश-नसीब?
आँखों से मुस्कुरा के लगाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा, क्या बात है!)
आँखों से मुस्कुरा के लगाई मेरी ग़ज़ल

उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल
क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल

एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ (आ-हा)
एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ
...उड़ा था धुआँ-धुआँ (क्या बात है!)
...धुआँ-धुआँ
एक-एक लफ़्ज़ बन के उड़ा था धुआँ-धुआँ
उसने जो गुनगुना के सुनाई मेरी ग़ज़ल (आ-हा-हा-हा, क्या बात है! वाह-वाह-वाह! बहुत अच्छे!)
उसने जो गुनगुना के सुनाई मेरी ग़ज़ल

उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल
क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल

हर एक शख़्स मेरी ग़ज़ल गुनगुनाए है (वाह! क्या बात है)
हर एक शख़्स मेरी ग़ज़ल गुनगुनाए है
Raahi, तेरी ज़ुबाँ पे ना आई मेरी ग़ज़ल (आ-हा, क्या बात है! वाह! बहुत अच्छे)
Raahi, तेरी ज़ुबाँ पे ना आई मेरी ग़ज़ल

उस शौक़ ने मुझी को सुनाई मेरी ग़ज़ल (वाह-वाह-वाह!)
क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल

क्या जाने, कब, कहाँ से चुराई मेरी ग़ज़ल
(वाह!)



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Saeed Rahi
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