Lazzate Ghum Badha Dijiye - Live In India/1985

आज की महफ़िल
जनाब Raaz Allahabadi साहब
की ये ग़ज़ल से शुरू कर रहा हूँ
और ग़ज़ल से पहले ये कता पेश है

नज़र ऊँची कर दी, दुआ बन गई
नज़र नीची कर दी, हया बन गई
नज़र तिरछी कर दी, अदा बन गया
नज़र फेर ली तो क़ज़ा बन गई

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
आप फिर मुस्कुरा दीजिए
आप फिर मुस्कुरा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

चाँद कब तक गहन में रहे?
चाँद कब तक गहन में रहे?
चाँद कब तक गहन में रहे?

अब तो ज़ुल्फ़ें हटा दीजिए
अब तो ज़ुल्फ़ें हटा दीजिए
अब तो ज़ुल्फ़ें हटा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

मेरा दामन बहुत साफ़ है
मेरा दामन बहुत साफ़ है
मेरा दामन बहुत साफ़ है

कोई तोहमत लगा दीजिए
कोई तोहमत लगा दीजिए
कोई तोहमत लगा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

क़ीमत-ए-दिल बता दीजिए
क़ीमत-ए-दिल बता दीजिए
क़ीमत-ए-दिल बता दीजिए

ख़ाक लेकर उड़ा दीजिए
ख़ाक लेकर उड़ा दीजिए
ख़ाक लेकर उड़ा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

आप अँधेरे में कब तक रहें?
आप अँधेरे में कब तक रहें?
आप अँधेरे में कब तक रहें?

फिर कोई घर जला दीजिए
फिर कोई घर जला दीजिए
फिर कोई घर जला दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

एक समुंदर ने आवाज़ दी

ग़ज़ल का आख़िरी शेर है, और
कुछ ऐसी ख़ूबी है इस शेर में
कि पूरी ग़ज़ल पे ये शेर हावी वो जाता है
और बाद में यही शेर याद रह जाता है
ग़ौर कीजिएगा

एक समुंदर ने आवाज़ दी
एक समुंदर ने आवाज़ दी
एक समुंदर ने आवाज़ दी

मुझको पानी पिला दीजिए
मुझको पानी पिला दीजिए
मुझको पानी पिला दीजिए
मुझको पानी पिला दीजिए

मा-पा-धा-नि, पा-मा-पा-नि-धा-नि
पा-मा-पा, गा-मा-रे
सा-रे-मा-पा, पा-नि-धा-पा-नि
मुझको पानी पिला दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

आप फिर मुस्कुरा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए

लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Raz Allahabadi
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