Titliyaan Udd Rahi Hain

तितलियाँ उड़ रही हैं, तितलियाँ उड़ रही हैं
पास आती हैं, दूर जाती हैं
दूर जा के वो फिर मुड़ रही हैं
तितलियाँ उड़ रही हैं, तितलियाँ उड़ रही हैं

मुँह अँधेरे सवेरे-सवेरे
फूल जब ओस में हैं नहाते
नर्म झोंके लगाते हैं फेरे
तुम हो इस पल कहाँ? ये फ़िज़ा, ये समाँ
आके देखो तो, महबूब मेरे
मुँह अँधेरे सवेरे-सवेरे

रंग की सरहदें, ख़ुशबुओं की हदें
टूटती हैं, कभी जुड़ रही हैं
तितलियाँ उड़ रही हैं, तितलियाँ उड़ रही हैं

एक सूरज किरण मनचली है
जाने क्या कह दिया उसने आके
मुस्कुराने लगी हर कली है
हर गुलाबी कली इस तरह है खिली
जैसे डाली पे शम्मा जली है
एक सूरज किरण मनचली है

रंग की सरहदें, ख़ुशबुओं की हदें
टूटती हैं, कभी जुड़ रही हैं
तितलियाँ उड़ रही हैं, तितलियाँ उड़ रही हैं



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Rajinder Singh Panesar
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