Dil Ka Kya Karen Saheb

कभी सोचते हैं उन्हें हम भुला दें
कभी सोचते हैं उन्हें याद कर लें

हो, कभी हम जुदाई के सदमें उठा लें
कभी हम अकेले में फ़रियाद कर लें

दिल का क्या करें, साहिब?
दिल का क्या करें, साहिब?
हम उन्हीं पे मरते हैं
(दिल का क्या करें, साहिब?)
(हम उन्हीं पे मरते हैं)

जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
ओ, जुर्म बस इतना है
उनसे प्यार करते हैं

दिल का क्या करें, साहिब?
हम उन्हीं पे मरते हैं
दिल का क्या करें, साहिब?

बेक़रारी का दर्द ना जाने
ये तो पागल है, बात ना माने
नैन मिलते ही चैन खो जाए
एक नज़र में ही इश्क़ हो जाए

समंदर से जा के करें इल्तिजा
"अगर मौज हो तो उसे मोड़ दे"
कभी जान के ना लगाएँ लगन
ये शीशा जो हो तो इसे तोड़ दे

दिल का क्या करें, साहिब?
अरे, दिल का क्या करें, साहिब?
हम उन्हीं पे मरते हैं

जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
ओ, जुर्म बस इतना है
उनसे प्यार करते हैं

दिल का क्या करें, साहिब?

ये वफ़ा क्या है? एक धोका है
पर दीवानों को किसने रोका है?
झूठे वादे हैं, झूठी क़समें हैं
लोग कहते हैं, झूठी रसमें हैं

यहाँ बे-असर हैं सदाएँ सभी
यहाँ सब मोहब्बत में नाकाम हैं
यहाँ चाहतों का गुज़ारा नहीं
ये गलियाँ, ये कूँचे तो बदनाम हैं

दिल का, अरे, दिल का...
हाय, दिल का क्या करें, साहिब?
हम उन्हीं पे मरते हैं

जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
जुर्म बस इतना है
ओ, जुर्म बस इतना है
उनसे प्यार करते हैं

(दिल का क्या करें, साहिब?) साहिब, साहिब, साहिब
(हम उन्हीं पे मरते हैं)
दिल का क्या करें, साहिब? (क्या करें? क्या करें?)
क्या करें, दिल का क्या करें, साहिब?
(क्या करें? क्या करें? क्या करें?)
दिल का क्या करें, साहिब?

दिल का क्या करें, साहिब? आ...



Credits
Writer(s): Saifi Nadeem, Rathod Shravan, Pandy Sameer (t)
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