E Ajnabi

ओ पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकडो में जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

रोज़ रोज़ रेशम सी हवा, आते जाते कहेती है बता
रेशम सी हवा कहेती है बता
वोह जो दूध-धूलि मासूम कलि वोह है कहाँ कहाँ है
वोह रौशनी कहाँ है, वोह जान-सी कहाँ है
मैं अधुरा तू अधूरी जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकडो में जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी
पांखी पांखी परदेसी

तू तो नहीं है लेकिन तेरी मुस्कुराहटें है
चेहेरा कही नहीं है पर तेरी आहटें है
तू है कहाँ कहाँ है, तेरा निशान कहाँ है
मेरा जहाँ कहाँ है
मैं अधुरा तू अधूरी जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकडो में जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से



Credits
Writer(s): Gulzar
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