Shahar Mein Gaon Mein

शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
ख़ुद को रोका बहुत, फिर भी सोचा बहुत

ख़ुद को रोका बहुत, फिर भी सोचा बहुत
"ज़िन्दगी कौन है? बंदगी कौन है?
ज़िन्दगी कौन है? बंदगी कौन है?"

उफ़, तुम्हारा शबाब दे रहा हैं जवाब
"ज़िन्दगी हो तुम्ही, बंदगी हो तुम्ही
ज़िन्दगी हो तुम्ही, बंदगी हो तुम्ही"

एक शहज़ादी है, नाम है "शायरी"
एक शहज़ादी है, नाम है "शायरी"
इसकी महफ़िल में हैं हर तरफ़ दिलकशी
शेर सुनते रहें, फिर भी उलझे रहे
शायरी कौन है? दिलकशी कौन है?

उफ़, तुम्हारा शबाब दे रहा हैं जवाब
"शायरी हो तुम्ही, दिलकशी हो तुम्ही
ज़िन्दगी हो तुम्ही, बंदगी हो तुम्ही"
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में

सुबह बेजान है रौशनी जब नहीं
सुबह बेजान है रौशनी जब नहीं
रात वीरान है चाँदनी जब नहीं
हमको सब थी ख़बर, दिल ने पूछा मगर
"रौशनी कौन है? चाँदनी कौन है?"

उफ़, तुम्हारा शबाब दे रहा हैं जवाब
"रौशनी हो तुम्ही, चाँदनी हो तुम्ही
ज़िन्दगी हो तुम्ही, बंदगी हो तुम्ही"

शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में
शहर में, गाँव में, धूप में, छाँव में



Credits
Writer(s): Sudarshan Faakir, Channi Singh
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