Chaudhvin Ka Chand

चौदवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो?
जो भी हो तुम खुदा की कसम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो?

जो भी हो तुम खुदा की क़सम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो

ज़ुल्फ़ें हैं जैसे काँधों पे बादल झुके हुए
आँखें हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए
मस्ती है जिसमें प्यार की तुम वो शराब हो
चौदवीं का चाँद हो

चेहरा है जैसे झील में हंसता हुआ कंवल
या ज़िंदगी के साज़ पे छेड़ी हुई गज़ल
जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो
चौदवीं का चाँद हो

होंठों पे खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ
सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कैकशाँ
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ का तुम ही शबाब हो

चौदवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो?
जो भी हो तुम खुदा की कसम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो



Credits
Writer(s): Shakeel Badayuni, Shankar Rava Ravi
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