Na to caravan ki talash hai (From "Barsaat Ki Raat'')

ना तो कारवां की तलाश है, ना तो हमसफ़र की तलाश है
मेरे शौक़-ऐ-खाना ख़राब को, तेरी रहगुज़र की तलाश है

मेरे नामुराद जूनून का है इलाज कोई तो मौत है
जो दवा के नाम पे ज़हर दे उसी चारागार की तलाश है

तेरा इश्क है मेरी आरजू, तेरा इश्क है मेरी आबरू
दिल इश्क जिस्म इश्क है और जान इश्क है
ईमान की जो पूछो तो ईमान इश्क है
तेरा इश्क है मेरी आरजू, तेरा इश्क है मेरी आबरू
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूँ, मेरी उम्र भर की तलाश है

जांसोज़ की हालत को जांसोज़ ही समझेगा
मैं शमा से कहता हूँ महफिल से नहीं कहता क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

सहर तक सबका है अंजाम जल कर ख़ाक हो जाना
भरी महफिल में कोई शमा या परवाना हो जाए क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

वहशत-ऐ-दिल रस्म-ओ-दीदार से रोकी न गई
किसी खंजर, किसी तलवार से रोकी न गई
इश्क मजनू की वो आवाज़ है जिसके आगे
कोई लैला किसी दीवार से रोकी ना गई, क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

वो हंसके अगर मांगे तो हम जान भी दे दें,
हाँ ये जान तो क्या चीज़ है ईमान भी दे दें क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

नाज़-ओ-अंदाज़ से कहते हैं की जीना होगा
ज़हर भी देते हैं तो कहते हैं की पीना होगा
जब मैं पीता हूँ तो कहते हैं की मरता भी नहीं
जब मैं मरता हूँ तो कहते हैं की जीना होगा
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

मज़हब-ऐ-इश्क की हर रस्म कड़ी होती है
हर कदम पर कोई दीवार खड़ी होती है
इश्क आजाद है, हिंदू ना मुसलमान है इश्क
आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क
जिससे आगाह नहीं शेख-ओ-बरहामन दोनों,
उस हकीकत का गरजता हुआ ऐलान है इश्क

इश्क ना पूछे दीन धर्म नु, इश्क ना पूछे जातां
इश्क दे हाथों गरम लहू विच, डूबियाँ लाख बराताँ के
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

राह उल्फत की कठिन है इसे आसान ना समझ
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

बहुत कठिन है डगर पनघट की
अब क्या भर लाऊं मैं जमुना से मटकी
मैं जो चली जल जमुना भरन को
देखो सखी जी मैं जो चली जल जमुना भरन को
नंदकिशोर मोहे रोके झाडों तो
क्या भर लाऊं में जमुना से मटकी
अब लाज राखो मोरे घूंघट पट की

जब जब कृष्ण की बंसी बाजी, निकली राधा सज के
जान अजान का मान भुला के, लोक लाज को तज के
बन-बन डोली जनक दुलारी, पहन के प्रेम की माला
दर्शन जल की प्यासी मीरा पी गई विष का प्याला
और फिर अरज करी के
लाज राखो राखो राखो, लाज राखो देखो देखो,
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क

अल्लाह रसूल का फरमान इश्क है
याने हफीज इश्क है, कुरान इश्क है
गौतम का और मसीह का अरमान इश्क है
ये कायनात जिस्म है और जान इश्क है
इश्क सरमद, इश्क ही मंसूर है
इश्क मूसा, इश्क कोहिनूर है
खाक को बुत, और बुत को देवता करता है इश्क
इम्तहान ये है के बन्दे को खुदा करता है इश्क

हाँ इश्क इश्क तेरा इश्क इश्क



Credits
Writer(s): Roshan, Ludiavani Sahir
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