Saath Ho Tum Aur Raat Jawan (From Kanch ki Gudiya)

साथ हो तुम और रात जवाँ
नींद किसे अब चैन कहाँ
कुछ तो समझ ऐ भोले सनम
कहती है क्या नज़रों की ज़ुबाँ
साथ हो तुम और रात जवाँ

महकती हवा, छलकती घटा
हमसे ये दिल, सम्भलता नहीं, की मिन्नतें, मनाकर थके
करें क्या ये अब तो, बहलाता नहीं
देख के तुमको, महकने लगा
लो मचलने लगा, हसरतों का जहाँ
साथ हो तुम और रात जवाँ
नींद किसे अब चैन कहाँ
साथ हो तुम और रात जवाँ

हम इस राह पे, मिले इस तरह, के अब उम्र भर, न होंगे जुदा
मेरे साज़-ए-दिल की आवाज़ तुम
मैं कुछ भी नहीं तुम्हारे बिना
आओ चलें हम, जहाँ प्यार से, वो गले मिल रहे, हैं ज़मीं आस्मां
साथ हो तुम और रात जवाँ, नींद किसे अब चैन कहाँ
कुछ तो समझ ऐ भोले सनम, कहती है क्या नज़रों की ज़ुबाँ
साथ हो तुम और रात जवाँ



Credits
Writer(s): Shailendra, Surhid Kar
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