Dard Halka Hai

दर्द हल्का है, साँस भारी है
दर्द हल्का है, साँस भारी है
जिए जाने की रस्म जारी है
दर्द हल्का है, साँस भारी है

आप के बाद हर घड़ी हमने
आप के बाद हर घड़ी हमने
आप के बाद हर घड़ी हमने
आप के साथ ही गुज़ारी है
आप के साथ ही गुज़ारी है
जिए जाने की रस्म जारी है

रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो
दिन की चादर अभी उतारी है
दिन की चादर अभी उतारी है

कल का हर वाक़या तुम्हारा था
कल का हर वाक़या तुम्हारा था
कल का हर वाक़या तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
आज की दास्ताँ हमारी है

जिए जाने की रस्म जारी है
दर्द हल्का है, साँस भारी है



Credits
Writer(s): Gulzar, Singh Jagjit
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