Oh Panchhi Pyare Sanjh Sakare

दो नैनन से मिलन को दो नैना अकुलाएँ
जब नैना हो सामने तो नैना झुक जाएँ

ओ, पंछी प्यारे, साँझ सकारे
बोले तू कौन सी बोली, बता रे?
बोले तू कौन सी बोली?

ओ, पंछी प्यारे, साँझ सकारे
बोले तू कौन सी बोली, बता रे?
बोले तू कौन सी बोली?

मैं तो पंछी, पिंजरे की मैना, पंख मेरे बेकार
बीच हमारे सात रे सागर, कैसे चलूँ उस पार?
कैसे चलूँ उस पार?

ओ, पंछी प्यारे, साँझ सकारे
बोले तू कौन सी बोली, बता रे?
बोले तू कौन सी बोली?

फागुन महीना, फूली बगिया, आम झरे अमराई
मैं खिड़की से चुप-चुप देखूँ, ऋतु बसंत की आई
ऋतु बसंत की आई

ओ, पंछी प्यारे, साँझ सकारे
बोले तू कौन सी बोली, बता रे?
बोले तू कौन सी बोली?

ओ, पंछी प्यारे, साँझ सकारे
बोले तू कौन सी बोली, बता रे?
बोले तू कौन सी बोली?



Credits
Writer(s): Shailendra, S.d. Burman
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