Kabhi Raat Din Hum Door The

कभी रात-दिन हम दूर थे
दिन-रात का अब साथ है
कभी रात-दिन हम दूर थे
दिन-रात का अब साथ है

वो भी इत्तिफ़ाक़ की बात थी
ये भी इत्तिफ़ाक़ की बात है
वो भी इत्तिफ़ाक़ की बात थी
ये भी इत्तिफ़ाक़ की बात है
कभी रात-दिन हम दूर थे
तेरी आँखों में है ख़ुमार सा
मेरी चाल में है सुरूर सा

तेरी आँखों में है ख़ुमार सा
मेरी चाल में है सुरूर सा
ये बहार कुछ है पिए हुए
ये समाँ नशे में है चूर सा
ये समाँ नशे में है चूर सा

कभी इन फ़िज़ाओं में प्यास थी
अब मौसम-ए-बरसात है
वो भी इत्तिफ़ाक़ की बात थी
ये भी इत्तिफ़ाक़ की बात है
कभी रात-दिन हम दूर थे
मुझे तुमने कैसे बदल दिया
हैराँ हूँ मैं इस बात पर

मुझे तुमने कैसे बदल दिया
हैराँ हूँ मैं इस बात पर
मेरा दिल धड़कता है आजकल
तेरी शोख़ नज़रों से पूछ कर
तेरी शोख़ नज़रों से पूछ कर

मेरी जाँ कभी मेरे बस में थी
अब ज़िंदगी तेरे हाथ है
वो भी इत्तिफ़ाक़ की बात थी
ये भी इत्तिफ़ाक़ की बात है
कभी रात-दिन हम दूर थे
यूँ ही आज तक रहे हम जुदा
तुम्हें क्या मिला, हमें क्या मिला

यूँ ही आज तक रहे हम जुदा
तुम्हें क्या मिला, हमें क्या मिला
कभी तुम ख़फ़ा, कभी हम ख़फ़ा
कभी ये गिला, कभी वो गिला
कभी ये गिला, कभी वो गिला

कितने बुरे थे वो दिन, सनम
कितनी हसीन ये रात है
वो भी इत्तिफ़ाक़ की बात थी
ये भी इत्तिफ़ाक़ की बात है
कभी रात-दिन हम दूर थे
दिन-रात का अब साथ है
कभी रात-दिन हम दूर थे



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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