Bedard Zamana Kya Jane

लकड़ी जल कोयला भई
कोयला जल भई राख
ये दुखिया ऐसी जली
कोयला भई, ना राख

कोई आँसू पीकर जीता है
कोई टूटे दिल को सीता है

कहीं शाम ढले, कहीं चिता जले
कहीं ग़म से तड़पते दीवाने

बेदर्द ज़माना क्या जाने
बेदर्द ज़माना क्या जाने
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)

ओ, मालिक, तेरा कैसा आलम, ओ
ओ, मालिक, तेरा कैसा आलम
यहाँ एक ख़ुशी और लाखों हैं ग़म

बारात कहीं तो कहीं मातम
क़िस्मत के अनोखे अफ़साने

बेदर्द ज़माना क्या जाने
बेदर्द ज़माना क्या जाने
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)

इस शाम का होगा सवेरा कहाँ?
इस शाम का होगा सवेरा कहाँ?
ये पंछी लेगा बसेरा कहाँ?
ये पंछी लेगा बसेरा कहाँ?

ये पवन है अगन और गरजता गगन
धरती भी लगी जब ठुकराने

(बेदर्द ज़माना क्या जाने)
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)
(बेदर्द ज़माना क्या जाने)



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, Kalyanji Virji Shah
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