Zulf Ghata

ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए
शायर तुम को पल-भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
...और ग़ज़ल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए

जिस दीपक को हाथ लगा दो, जले हज़ारों साल
जिस दीपक को हाथ लगा दो, जले हज़ारों साल
...जले हज़ारों साल

जिस कुटिया में रात बिता दो, ताज-महल हो जाए
जिस कुटिया में रात बिता दो, ताज-महल हो जाए
शायर तुम को पल-भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए

कितनी यादें आ जाती हैं दस्तक दिए बग़ैर
कितनी यादें आ जाती हैं दस्तक दिए बग़ैर
...दस्तक दिए बग़ैर

अब इतना भी सूनापन क्या, घर जंगल हो जाए
अब इतना भी सूनापन क्या, घर जंगल हो जाए
शायर तुम को पल-भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए

तू आए तो पंख लगा कर उड़ जाती है शाम
तू आए तो पंख लगा कर उड़ जाती है शाम
...उड़ जाती है शाम

मीलों लंबी रात सिमट कर पल-दो-पल हो जाए
मीलों लंबी रात सिमट कर पल-दो-पल हो जाए
शायर तुम को पल-भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए
ज़ुल्फ़ घटा बन कर लहराए, आँख कँवल हो जाए



Credits
Writer(s): Qaiser Ul Jaffri, Ali-ghani
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