Suraj Ki Har Kiran Pe - Live

बहुत प्यारे दोस्त, बहुत अज़ीम इंसान, और बहुत ही ख़ूबसूरत शायर
मरहूम Sheikh Adam Aboowala की एक ग़ज़ल सुना रहा हूँ
ग़ज़ल से पहले ये दो शेर जो Sheikh Adam के लिए हैं
मैं पेश करना चाहूँगा

वक़्त की गर्म हवाओं में (वाह! वाह! वाह!) मुरझा ना सका (वाह-वाह!)
वक़्त की गर्म हवाओं में (वाह!) मुरझा ना सका
फूल है, रंग है, ख़ुशबू है तुम्हारा चेहरा (वाह! वाह! वाह! बहुत खूब!)
कितना अरसा हुआ बिछड़े हुए तुमको हमसे (क्या बात है!)
अब भी आँखों में चमकता है तुम्हारा चेहरा (वाह! वाह! वाह!)

सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ (वाह! आए-हाए)
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ
दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ
दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ

ख़ुशियों के बदले दर्द ना बेचूँगा मैं कभी (वाह!)
ख़ुशियों के बदले दर्द ना बेचूँगा मैं कभी
ख़ुशियों के बदले दर्द ना बेचूँगा मैं कभी
दुनिया को चाहिए तो उसे ग़म उधार दूँ
दुनिया को चाहिए तो उसे ग़म उधार दूँ

दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ

शेर अर्ज़ है

डरता हूँ लिखते-लिखते, ये काग़ज़ ना जल उठे (वाह-वाह!)
डरता हूँ लिखते-लिखते, ये काग़ज़ ना जल उठे
डरता हूँ लिखते-लिखते, ये काग़ज़ ना जल उठे
शेरों में दिल की आग ये कैसे उतार दूँ (ओ-हो)
शेरों में दिल की आग ये कैसे उतार दूँ

दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ

ग़ज़ल का मक़्ता अर्ज़ है (इरशाद)

Adam, हसीन नींद मिलेगी कहाँ मुझे? (...मिलेगी कहाँ मुझे? वाह!)
Adam, हसीन नींद मिलेगी कहाँ मुझे?
Adam, हसीन नींद मिलेगी कहाँ मुझे?
Adam, हसीन नींद मिलेगी कहाँ मुझे?
फ़िर क्यों ना ज़िंदगानी को क़ुर्बत पे वार दूँ (ओ-हो! वाह! बहुत अच्छे!)
फ़िर क्यों ना ज़िंदगानी को क़ुर्बत पे वार दूँ

दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ
दोज़ख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ
सूरज की हर किरण तेरी सूरत पे वार दूँ



Credits
Writer(s): Manhar, Sheikh Adam Aboowala
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link