Choom Kar Madh Bhari

सब चमन से गुलाब ले आए
हुस्न वाले शबाब ले आए
शैख़ साहब ने माँग ली जन्नत
हम वहाँ से शराब ले आए
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
उसने भेजा है मेरे नाम शराबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
उसने भेजा है मेरे नाम शराबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
उसके हाथों में गुलाबों की महक है शायद
उसके हाथों में गुलाबों की महक है शायद
उसके हाथों में गुलाबों की महक है शायद

उसके छूने से हुआ सारा गुलाबी काग़ज़
उसके छूने से हुआ सारा गुलाबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
उसका ख़त पाते ही मय-ख़ाने की याद आती है
उसका ख़त पाते ही मय-ख़ाने की याद आती है
उसका ख़त पाते ही मय-ख़ाने की याद आती है

कहीं मुझको भी बना दे ना शराबी काग़ज़
कहीं मुझको भी बना दे ना शराबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
कहीं मैं उसका पता भूल ना जाऊँ, राशिद
कहीं मैं उसका पता भूल ना जाऊँ, राशिद
कहीं मैं उसका पता भूल ना जाऊँ, राशिद

मुझको लिखता है वो हर बार जवाबी काग़ज़
मुझको लिखता है वो हर बार जवाबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़
उसने भेजा है मेरे नाम शराबी काग़ज़
चूम कर मद-भरी आँखों से गुलाबी काग़ज़



Credits
Writer(s): Mumtaz Rashid, Pankaj Udhas
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