Lagi Aaj Sawan Ki - From "Chandni"

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
वही आग सीने में फिर जल पड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे
वही तो है मौसम, मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

कोई काश दिल पे ज़रा हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ों को एक साथ रख दे
मगर ये हैं ख़्वाबों-ख़यालों की बातें
कभी टूट कर चीज़ कोई जुड़ी है

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
वही आग सीने में फिर जल पड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है



Credits
Writer(s): Shiv Hari, Anand Bakshi
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