Siddhivinayak Aarti

सच्चिद्धन चिंतामणि जय-जय ओंकारा
विष्णुमहेश्वरजनका जय विश्वधारा
विद्याऽविद्यारमणा सच्चीत सुखसारा
स्वानंदेशा भगवन दे चरणी थारा

(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(तब दर्शनमात्रे हो भक्तेक्षितपूर्ति)
(जय देव, जय देव)

आद्य ब्रह्माधीशा योगिहृदरामा
करुणापारा वारा हे मंगलधामा
मत्सरमुखदनुजारे परिपूरित कामा
स्वामिन विघ्नाधीशा दे निजसुख आम्हां

(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(तब दर्शनमात्रे हो भक्तेक्षितपूर्ति)
(जय देव, जय देव)

श्रीमन्मुद्द्गलशुकमुख दत्तादिक योगी
नारायण गिरिजाधव रविमुख स्वर्भोगी
तैसे सत रत तव पदकमली भोगी
भववैद्या शरणांकुशधारी भवरोगी

(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(तब दर्शनमात्रे हो भक्तेक्षितपूर्ति)
(जय देव, जय देव)

श्रीमद् गणेश दक्षा दक्षांकीवासऽ
त्रिनयनशशिभालत्वही षितपित सुवासऽ
विद्या-विद्या तुम ही तत्वम पद्वासऽ
अंकुशधारी असिपति गणमय करियासऽ

जय देवी, जय देवी सिद्धी दी माते
द्वंवाभेदे आरती करतो तुम्हाते



Credits
Writer(s): Aditya Paudwal
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