Aag

वक्त ने तोड़ा
वक्त ने जोड़ा
साया पलटकर
साये से बोला
कदमों के, ज़ख्म तो भर से गये थे
काँच की खिरचों ने, इनको है खोलो

क्यूँ हुई, ये दुनिया बेवफ़ा?
ज़िन्दगी ने दी, है एक सज़ा
अपनों का साथ, समझ ना सका
समझा जब मैं, वक्त ना रहा

ये जीवन मेरा, एक जलती आग है
ना छूना तुम इसे, इसमें तो आग है

झूठे वादे, झूठा ये साथ है
कैसी मोहब्बत! पैसों का प्यार है
खुद से ही, मैं कहीं दूर चल पड़ा था
ज़िंदगी की दौड़ में, कहीं खो गया था

क्यूँ मिली, मुझको तन्हा रातें?
ज़िंदगी हुई, हुई बेज़ुबां
दिल की हर चोट, बढ़ती रही
वो क्या मरहम, दुआ लगायेगा

ये जीवन मेरा, एक जलती आग है
ना छूना तुम इसे, इसमें तो आग है

ये जीवन मेरा, एक जलती आग है
ना छूना तुम इसे, इसमें तो आग है
ये जीवन मेरा, एक जलती आग है
ना छूना तुम इसे, इसमें तो आग है



Credits
Writer(s): Wajhi Farouqui, Sunny Ghansham
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