Kyon Pyala Chhalakta Hain

क्यूँ प्याला छलकता है, क्यूँ दीपक जलता है?
दोनों के मन में कहीं अनहोनी विकलता है
क्यूँ प्याला छलकता है?

पत्थर में फूल खिला, दिल को एक ख़्वाब मिला
पत्थर में फूल खिला, दिल को एक ख़्वाब मिला
क्यूँ टूट गए दोनों, इसका ना जवाब मिला
दिल नींद से उठ-उठकर क्यूँ आँखें मलता है?
क्यूँ प्याला छलकता है?

है राख़ की रेखाई लिखती है चिनगारी
हैं कहते मौत जिसे, जीने की तयारी
जीवन फिर भी जीवन जीने को मचलता है

क्यूँ प्याला छलकता है, क्यूँ दीपक जलता है?
दोनों के मन में कहीं अनहोनी विकलता है
क्यूँ प्याला छलकता है?



Credits
Writer(s): Pt Narendra Sharma, Raghunath Seth
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