Rahen Na Rahen

रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम...

हैं ख़ूबसूरत ये नज़ारे, ये बहारें
हमारे दम-क़दम से
ज़िंदा हुई है फिर जहाँ में
आज इश्क़-ओ-वफ़ा की रस्म हमसे

यूँ ही इक चमन...
यूँ ही इक चमन की ज़ीनत रहेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में

रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Roshan, Anurag-abhishek
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