Ya Kurban

हो, या क़ुर्बान

वो आँखें थी दिलबर की या नर्गिस-ए-मस्ताना
देखे हुए उस बुत को अब हो गया ज़माना

ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को

ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को...

हो, या क़ुर्बान

देखेंगे कब वो सूरत जिस पे बहार सदक़े
ये दिल तो क्या है, यारों, काबुल कंधार सदक़े

किस तरह भूले निगाह-ए-यार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को

ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को...

हो, या क़ुर्बान

कैसी है ये क़यामत, हो, तू ही बता, ख़ुदाया
जितना भुलाया उस को, उतना वो याद आया

क्या क़रार आए तेरे बीमार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को

ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को
ओ, सबा कहना मेरे दिलदार को
दिल तड़पता है तेरे दीदार को...



Credits
Writer(s): Prem Dhawan, Salil Choudhury
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