Ae Gham Eh Dil Kya Karoon - Male Version

शहर की रात और मैं नाशाद-ओ-नाकारा फिरूँ
जगमगाती, जागती सड़को पे आवारा फिरूँ

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ?
क्या करूँ?, क्या करूँ?

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ?
क्या करूँ?, क्या करूँ?
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?

ये रुपहली छाँव, ये आकाश पर तारों का जाल

ये रुपहली छाँव, ये आकाश पर तारों का जाल
जैसे सूफ़ी का तसव्वुर, जैसे आशिक़ का ख़याल
आह लेकिन कौन समझे, कौन जाने जी का हाल

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ?
क्या करूँ?, क्या करूँ?
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?

रास्ते मे रुक के दम लूँ, ये मेरी आदत नहीं

रास्ते मे रुक के दम लूँ, ये मेरी आदत नहीं
लौट कर वापस चला जाऊँ मेरी फितरत नहीं
और कोई हमनवाँ मिल जाए ये किस्मत नहीं

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ?
क्या करूँ?, क्या करूँ?
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ?



Credits
Writer(s): Sardar Malik, Majaz
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