Dil Jo Na Keh Saka

दिल जो न कह सका
वो ही राज-ए-दिल, कहने की रात आई
दिल जो न कह सका
वो ही राज-ए-दिल कहने की रात आई
दिल जो न कह सका

नग्मा सा कोई जाग उठा बदन में
झनकार की सी थरथरी है तन में
झनकार की सी थरथरी है तन में
हो मुबारक़ तुम्हे किसी की
लर्ज़ती सी बाहों में, रहने की रात आई
दिल जो न कह सका

तौबा यह किसने अंजुमन सजा के
टुकड़े किए हैं गुंचा-ए-वफ़ा के
टुकड़े किए हैं गुंचा-ए-वफ़ा के
हो उछा लो गुलों के टुकड़े
के रंगीन फिजाओं में, रहने की रात आई
दिल जो न कह सका

चलिए मुबारक जश्न दोस्ती का
दामन तो थामा आपने किसी का
दामन तो थामा आपने किसी का
हो हमें तो खुशी यही है
तुम्हें भी किसी को अपना, कहने की रात आई
दिल जो न कह सका

साग़र उठाओ दिल का किसको गम है
आज दिल की कीमत जाम से भी कम है
आज दिल की कीमत जाम से भी कम है
हो पियो चाहे खून-ए-दिल हो, के पीते पिलाते ही

वो ही राज-ए-दिल, कहने की रात आई
दिल जो न कह सका



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Roshan
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