Mast Ankhon Mein Shararat

मस्त आँखों में
मस्त आँखों में शरारत
कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी

युंहीं शर्माने की आदत, कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी

ओ कोई बिजिली है की नस नस में, जो लहराती है
मुझे क्या जाने
कहाँ लेके उडी जाती है
मुझे क्या जाने कहाँ लेके उडी जाती है
शो अंगड़ाई क़यामत, कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी

दिल धड़कता है तो चेहरे पर निखार आता है
वो तो वह है मुझे
अपनी पे प्यार आता है
वो तो वह है मुझे अपनी पे प्यार आता है
जैसी अब है मेरी हालत, कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी

ओ बहकी बहकी हुईं, नज़रो का सलाम आता है
दिल ए बेताब ताहेर, उनका पयाम आता है
है जो अब मुझ पे इनायत, कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी

मस्त आँखों में
मस्त आँखों में शरारत, कभी ऐसी तो ना थी
कभी ऐसी तो ना थी



Credits
Writer(s): Kaifi Azmi, Ghulam Mohammed
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