Kabhi Ye Haath Hain Humsafar Bhi

कभी ये हाथ हैं हमसफ़र भी
खो जाते भी हैं साथ चल के
कभी मुड़ जाते हैं इस तरह से
रख देते हैं दुनियाँ बदल के

कभी ये हाथ हैं हमसफ़र भी
खो जाते भी हैं साथ चल के
कभी मुड़ जाते हैं इस तरह से
रख देते हैं दुनियाँ बदल के

हो, दुनियाँ बदलती है तो ना पूछो, होता है क्या, मेरे दिल
जाएँ जिधर भी वहीं पे अचानक मिलता है कोई कातिल
दुनियाँ बदलती है तो ना पूछो, होता है क्या, मेरे दिल
जाएँ जिधर भी वहीं पे अचानक मिलता है कोई कातिल

आया जो भी घेरे में इन के
नहीं जाता यहाँ से निकल के
कभी मुड़ जाते हैं इस तरह से
रख देते हैं दुनियाँ बदल के

चार तरफ़ है मौत का पहरा, बंद हैं सब राहें
बन के छुरी गरदन पे गिरेंगी बढ़ती हुई बाँहें
चार तरफ़ है मौत का पहरा, बंद हैं सब राहें
बन के छुरी गरदन पे गिरेंगी बढ़ती हुई बाँहें

इतने बेरहम हैं के तौबा
मार डालें गले मिलते-मिलते
कभी मुड़ जाते हैं इस तरह से
रख देते हैं दुनियाँ बदल के

कभी ये हाथ हैं हमसफ़र भी
खो जाते भी हैं साथ चल के
कभी मुड़ जाते हैं इस तरह से
रख देते हैं दुनियाँ बदल के



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri
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