Ram-Krishna Ki Dharti Par

राम-कृष्ण की धरती पर पापी ने पाँव पसारा है
(...पापी ने पाँव पसारा है)
बढ़ो जवानों, आज विदेशी ने हमको ललकारा है
(...हमको ललकारा है)

इस धरती को हथियाने का उसने आज विचार किया
इस भारत को धमकाने का उसने बड़ा प्रचार किया
(है उसने बड़ा प्रचार किया)

उत्तर में वो खड़ा हिमालय टक्कर लेने वाला है
यहाँ हज़ारों वीर लड़ेंगे, उसने हमें ना जाना है
(...उसने हमें ना जाना है)

राम-कृष्ण की धरती पर पापी ने पाँव पसारा है
(...पापी ने पाँव पसारा है)
बढ़ो जवानों, आज विदेशी ने हमको ललकारा है
(...हमको ललकारा है)

वीर शिवाजी के पोवाड़े हमने घर-घर गाए हैं
महाराणा प्रताप पे मारू बाजे ख़ूब बजाए हैं
...बाजे ख़ूब बजाए हैं

रणभेरी बज उठी, कट्टपम् मन्ने हमें पुकारा है
हमलावर ग़द्दारों का अब काम ना बनने वाला है
(...काम ना बनने वाला है)

बढ़ो जवानों, आज विदेशी ने हमको ललकारा है
(...हमको ललकारा है)

हम ना किसी का मुल्क चाहते, हमें किसी से बैर नहीं
हम पर जो चढ़ कर आएगा, उस दुश्मन की ख़ैर नहीं
(...उस दुश्मन की ख़ैर नहीं)

काश्मीर से अंतरीप तक यही हमारा नारा है
हिंद महासागर की लहरों ने लो यही पुकारा है
(सुन लो, यही पुकारा है)

(राम-कृष्ण की धरती पर पापी ने पाँव पसारा है)
(...पापी ने पाँव पसारा है)
(बढ़ो जवानों, आज विदेशी ने हमको ललकारा है)
(...हमको ललकारा है)

(...हमको ललकारा है)



Credits
Writer(s): Jamal Sen, V Mallikarjuna Sarma
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