Jis Din Se

जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
मैंने कोई गुज़रा हुआ मंज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ...

"पत्थर" मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
"पत्थर" मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ, उसने मुझे छू कर नहीं देखा
मैं मोम हूँ, उसने मुझे छू कर नहीं देखा

मैंने कोई गुज़रा हुआ मंज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ...

बे-वक्त अगर जाऊँगा सब चौक पड़ेगे
बे-वक्त अगर जाऊँगा सब चौक पड़ेगे
एक उम्र हुई, दिन में कभी घर नहीं देखा
एक उम्र हुई, दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ...

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
मैंने कोई गुज़रा हुआ मंज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ...



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Dr. Bashir Badr
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