Kuch To Hai

कुछ तो है हवाओं ने रुख जो बदला है
कुछ तो है बेचैनियाँ सी दरमियाँ भी हैं

ज़िंदगी मुस्कुरा रही है
रास्ते भी बेज़ुबाँ हैं
शामों ने सुबह से दोस्ती करी
इनदिनों कुछ तो ख़ास है

रुक जा यहीं, थम जा कहीं
शामें तेरी तन्हा ना हों
रुक जा यहीं, थम जा कहीं
शामें तेरी तन्हा ना हों

ज़िंदगी क्या कहना चाह रही है?
लमहों को दूर ले जा रही है
ख़्वाहिशें बिखरी-बिखरी सी हैं
रहमतें ख़ोई-ख़ोई सी हैं

रुक जा यहीं, रुक जा यहीं
रुक जा यहीं, रुक जा यहीं



Credits
Writer(s): Sandeep Madhavan, Anas Ali Khan, Anjana Ankur Singh
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