Saathiya

साथिया, साथिया
मद्धम-मद्धम तेरी गीली हँसी
साथिया, साथिया
सुन के हम ने सारी पी ली हँसी

हँसती रहे तू हँसती रहे, हया की लाली खिलती रहे
ज़ुल्फ़ों के नीचे गर्दन पे सुब्ह-ओ-शाम मिलती रहे
सौंधी सी हँसी तेरी खिलती रहे, मिलती रहे

पीली धूप पहन के तुम, देखो, बाग़ में मत जाना
भँवरे तुम को सब छेड़ेंगे, फूलों में मत जाना
मद्धम-मद्धम हँस दे फिर से
सोणा-सोणा फिर से हँस दे

ताज़ा गिरे पत्ते की तरह, सब्ज़ lawn पर लेटे हुए
सात रंग हैं बहारों के, एक अदा में लपेटे हुए
सावन-भादों सारे तुम से
मौसम-मौसम हँसते रहना
मद्धम-मद्धम हँसते रहना

साथिया, साथिया
मद्धम-मद्धम तेरी गीली हँसी
साथिया, साथिया
सुन के हम ने सारी पी ली हँसी

कभी नीले आसमाँ पे चलो घूमने चलें हम
कोई अब्र मिल गया तो ज़मीं पे बरस लें हम
तेरी बाली हिल गई है
कभी शब चमक उठी है
कभी शाम खिल गई है

तेरे बालों की पनाह में ये सियाह रात गुज़रे
तेरी काली-काली आँखें, कोई उजली बात उतरे
तेरी इक हँसी के बदले मेरी ये ज़मीन ले-ले
मेरा आसमान ले-ले

साथिया, साथिया
मद्धम-मद्धम तेरी गीली हँसी
साथिया, साथिया
सुन के हम ने सारी पी ली हँसी

बर्फ़ गिरी हो वादी में, ऊन में लिपटी-सिमटी हुई
बर्फ़ गिरी हो वादी में और हँसी तेरी गूँजे
ऊन में लिपटी-सिमटी हुई, बात करे धुआँ निकले
गरम-गरम उजला धुआँ, नरम-नरम उजला धुआँ

साथिया, साथिया
मद्धम-मद्धम तेरी गीली हँसी



Credits
Writer(s): A R Rahman, Gulzar
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