Samandaron Ke Udhar Se

समंदरों के उधर से कोई सदा आई
समंदरों के उधर से कोई सदा आई
समंदरों के उधर से कोई सदा आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई

समंदरों के उधर से कोई सदा आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई

उसे पुकारा...
उसे पुकारा तो होंठों पे कोई नाम ना था
उसे पुकारा तो होंठों पे कोई नाम ना था

मुहब्बतों के सफ़र में अजब फ़ज़ा आई
मुहब्बतों के सफ़र में अजब फ़ज़ा आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई

उतर रही हैं अजब ख़ुशबुएँ रग-ओ-पै में
उतर रही हैं अजब ख़ुशबुएँ रग-ओ-पै में

ये किस को छू के मेरे शहर में सबा आई?
ये किस को छू के मेरे शहर में सबा आई?
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई

कहीं रहे वो, मगर ख़ैरियत के साथ रहे

कहीं रहे वो, मगर ख़ैरियत के साथ रहे
कहीं रहे वो, मगर ख़ैरियत के साथ रहे

उठाए हाथ तो याद एक ही दुआ आई
उठाए हाथ तो याद एक ही दुआ आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई

समंदरों के उधर से कोई सदा आई
समंदरों के उधर से कोई सदा आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई



Credits
Writer(s): Praveen Shakir, Roop Kumar Rathod
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link