Uski Dulhan Sajaoongi

कमाल-ए-ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
कमाल-ए-ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी
कमाल-ए-ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी

सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी

अब उस का फ़न तो किसी और से हुआ मंसूब
अब उस का फ़न तो किसी और से हुआ मंसूब
मैं किस की नज़्म अकेले में गुनगुनाऊँगी?
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी

जवाज़ ढूँढ रहा था नई मोहब्बत का
जवाज़ ढूँढ रहा था नई मोहब्बत का
वो कह रहा था कि मैं उस को भूल जाऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी

कमाल-ए-ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
कमाल-ए-ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी
दुल्हन सजाऊँगी, दुल्हन सजाऊँगी



Credits
Writer(s): Praveen Shakir, Roop Kumar Rathod
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