Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin (Revival)

कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं
कोई सागर दिल को बहलाता नहीं

मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ
कैसे कह दूँ ग़म से घबराता नहीं
कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं

कल तो सब थे कारवाँ के साथ साथ
आज कोई राह दिखलाता नहीं
कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं

ज़िंदगी के आइने को तोड़ दो
इसमें अब कुछ भी नज़र आता नहीं
कोई सागर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं



Credits
Writer(s): Naushad, Shakeel Badayuni
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