Chappar Phad Ke Deta Hai

देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता
अरे, नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता
देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता

ना देखे वो गोरा-काला, ना देसी-परदेसी
अरे, जब चाहे सोने से भर दे फटे ठाठ की खेती
जिसपर इसको प्यार आ जाता उसको जेबें झाड़ के देता
देने वाला, हा-हा-हा

अरे, देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता
(देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता)
(नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता)

चिंग-चौंक, पिंगी-पिंगी-पौंग, sing song, गाओ-गाओ
दाता जब भी दे मिलकर बोलो, "लाओ-लाओ"
अब्बु ने बाबा का माल समझ कर खाओ-खाओ

ऐश उड़ना फ़र्ज़ है उसका जिसे वो तूम-तबाड़ के देता
देने वाला...
(देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता)
(नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता)

मेरा दाता मुझपर महरबान है
मेरे मुँह में चाँदी की ज़बान है
मेरे हाथ में सोने की कमान है
जो भी मेरे आगे आएगा मुफ़्त में जूते खाके जाएगा, जाएगा, जाएगा

जिसको देना चाहे दाता बंद किवाड़ उखाड़ के देता
देने वाला...

(देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता)
(नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता)
(देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता)
(नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता)

अपना भी 'गर इस जहाँ में कोई सहारा होता
रातों की ख़ामोशियों में क्यों दिल हमारा रोता?

हो, देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता
देने वाला, ला-ला-ला-ला
(देने वाला जब भी देता पूरा छप्पर फ़ाड़ के देता)
(नंग, घड़ंग, मलंग जनों को दूरबीन से ताड़ के देता)

वाह रे, ऊपर वाले, वाह! वाह! आहा! आहा!
तेरे खेल निराले, वाह! वाह! आहा! आहा!
गधों को हलवा बाँटे, भैसों को शाल-दोशाले
बुरों के मुँह में शक्कर और भलों के मुँह-सर काले

वाह रे, ऊपर वाले, वाह! वाह! आहा! आहा!



Credits
Writer(s): Ludiavani Sahir, S Burman
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