O Re Manwa

हो, दुनिया सारी ये छोटी ज़रा पड़ गई
बढ़ते-बढ़ते, मैं हद से ज़रा बढ़ गई

ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
अंदर से बंद कर ले तू सपनों को पिंजरे में

ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
अंदर से बंद कर ले तू सपनों को पिंजरे में

तिनके-तिनके को जोड़ के क्यूँ मैं पुलिया बनाने लगी?
बूँद निचोड़ के क्यूँ नदिया बिछाने लगी?
तारे-तारे को तोड़ के क्यूँ मैं झूमर बनाने लगी?
चाँद जला के क्यूँ घर में सजाने लगी?

आफ़त कैसी ये देखो ज़रा कर गई
पंख लगा के मैं छज्जे पे क्यूँ चढ़ गई?

ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
अंदर से बंद कर ले तू सपनों को पिंजरे में

ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
ओ, रे मनवा, छोड़ ज़िद करना
अंदर से बंद कर ले तू सपनों को पिंजरे में
सपनों को पिंजरे में, सपनों को पिंजरे में



Credits
Writer(s): Amit Trivedi, Kausar Munir
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