Aao Manayen Jashne Muhabbat

आओ मनाएँ जश्न-ए-मोहब्बत
जाम उठाएँ जाम के बाद

शाम से पहले कौन ये सोचे
क्या होना है शाम के बाद

आओ मनाएँ...

हमारी तमन्ना तुम्हें प्यार करना
हमें और करना क्या, हमें और करना क्या
मोहब्बत में रुसवा हुए भी तो क्या है
दुनिया से डरना क्या

आगे कोई इल्ज़ाम नहीं है
चाहत के इल्ज़ाम के बाद

आओ मनाएँ जश्न-ए-मोहब्बत
जाम उठाएँ जाम के बाद
आओ मनाएँ...

ये आलम है जैसे उड़ा जा रहा हूँ
तुम्हें ले के बाँहों में, तुम्हें ले के बाँहों में
तुम्हारी लबों से हमारे लबों तक
नहीं कोई राहों में

कैसे कोई अब दिल को सँभाले
इतने हसीं पैग़ाम के बाद

आओ मनाएँ जश्न-ए-मोहब्बत
जाम उठाएँ जाम के बाद

शाम से पहले कौन ये सोचे
क्या होना है शाम के बाद

आओ मनाएँ...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Nagrath Rajesh Roshan
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