Path Bhoola Ek Aaya Musafir

पथ भुला एक आया मुसाफ़िर
ले के मेरा मन दूर चला
बिख़रे सपने, रह गईं यादें
रात से पहले चाँद ढला
पथ भुला...

कोई ना समझे, कोई ना जाने
दिल की लगी है क्या
लाख छुपाऊँ, छुप ना सके
ये प्रेम का रोग बुरा

पथ भुला एक आया मुसाफ़िर
ले के मेरा मन दूर चला
पथ भुला...

दिल कहता है, "रोक ले उस को
उस बिन कौन तेरा?"
लेकिन किस की दूँ मैं दुहाई?
क्या अधिकार मेरा?

पथ भुला एक आया मुसाफ़िर
ले के मेरा मन दूर चला
बिख़रे सपने, रह गईं यादें
रात से पहले...



Credits
Writer(s): Shailendra
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