Sola Singar Karke Aai Suhaag Raat

१६ शृंगार कर के जो
आई सुहाग-रात, आई सुहाग-रात

१६ शृंगार कर के जो
आई सुहाग-रात, आई सुहाग-रात
जल्वे तुम्हारे हुस्न के
लाई सुहाग-रात, लाई सुहाग-रात

चेहरा तुम्हारा देख के हैरान हो गया
चेहरा तुम्हारा देख के हैरान हो गया
मेरा ख़याल नूर की दुनिया में खो गया

शर्म-ओ-हया के भेष में पाई सुहाग-रात
शर्म-ओ-हया के भेष में पाई सुहाग-रात

१६ शृंगार कर के जो
आई सुहाग-रात, आई सुहाग-रात

बालों में फूल, मांग में तारे भरे हुए
बालों में फूल, मांग में तारे भरे हुए
होंठों के रंग जैसे गुलिस्ताँ खिले हुए

मेरे लिए फ़िज़ा ने सजाई सुहाग-रात
मेरे लिए फ़िज़ा ने सजाई सुहाग-रात

१६ शृंगार कर के जो
आई सुहाग-रात, आई सुहाग-रात

ये रात ऐसी रात है, आती है एक बार
ये रात ऐसी रात है, आती है एक बार
जज़्बात अपने प्यार के लाती है एक बार

मालिक ने, हाय, ख़ूब बनाई सुहाग-रात
मालिक ने, हाय, ख़ूब बनाई सुहाग-रात

१६ शृंगार कर के जो
आई सुहाग-रात, आई सुहाग-रात
जल्वे तुम्हारे हुस्न के
लाई सुहाग-रात, लाई सुहाग-रात



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Jaipuri Hasrat
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