Barsaat Bhi Aakar

बरसात भी आ कर चली गई
बादल भी ग़रज कर बरस गए

बरसात भी आ कर चली गई
बादल भी ग़रज कर बरस गए
पर उसकी एक झलक को हम
ऐ, हुस्न के मालिक तरस गए
कब प्यास बुझेगी आँखों की
दिन-रात ये दुखड़ा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

अफ़सोस ये है कि वो हमसे
कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

जिस रोज़ से देखा है उसको
हम शमा जलाना भूल गए

हो, जिस रोज़ से देखा है उसको
हम शमा जलाना भूल गए
दिल थाम के ऐसे बैठे हैं
कहीं आना-जाना भूल गए
अब आठ पहर इन आँखों में
वो चंचल मुखड़ा रहता है

मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

अफ़सोस ये है कि वो हमसे
कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Bablu Chakraborty, Rahul Dev Burman
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link